शायरी का जलवा
माना की बहुत है आप हसी, दिल को ठुकराया करते है| लेकिन हम भी दिल वाले दुश्मन को गले लगाया करते है|| इश्क़ के मरीज कभी सेहत नही पाते होंगे| पाते होंगे तो दीवार दिलबर को चाहते होंगे|| खुदा करे किसी का कोई हबीब न हो| ये दाग वो है की दुश्मन को नसीब न हो|| क्या हाल है रहा है दिल बेकरार का| आज़ार हो किसी को इलाही न प्यार का|| छूट जाउ गले के हाथो से जो निकले दम कही| खाक ऐसी जिंदगी पर तुम कही और हम कही|| आतिशे इश्क़ वह जिसमे समुद्र जल जाए| चर्चे लग जाए पत्थर मे तो पत्थर जल जाए|| सैकड़ो दर्द्मन्द मिलते है, मतलब के लोग चन्द मिलते है| जब मुसिबत का वक़्त आता है, उनके दरवाजे बंद मिलते है|| बचकर रहना यारो बाला खेलती है| हसीनो की आँखो मे कजा खेलती है|| सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगी फिर कहा| जिंदगी गर रही तो नौजवानी फिर कहा|| महा देखा महताब देखा एक से एक लाजवाब देखा है| बहक जाए खुदा भी खुदा कसम मैने ऐसा ख़्वाब देखा है|| नज़ारो -ए-जमाल से जन्नत है जिंदगी| वह रु-ब-रु नही तो कयामत है जिंदगी|| तेरे कुंचे इस बहाने हमे दिन रात करना| कभी इससे बात करना कभी उससे बात करना|...