शायरी का जलवा

माना की बहुत है आप हसी,
दिल को ठुकराया करते है|
लेकिन हम भी दिल वाले
दुश्मन को गले लगाया करते है||

इश्क़ के मरीज कभी सेहत नही पाते होंगे|
पाते होंगे तो दीवार दिलबर को चाहते होंगे||

खुदा करे किसी का कोई हबीब न हो|
ये दाग वो है की दुश्मन को नसीब न हो||

क्या हाल है रहा है दिल बेकरार का|
आज़ार हो किसी को इलाही न प्यार का||

छूट जाउ गले के हाथो से जो निकले दम कही|
खाक ऐसी जिंदगी पर तुम कही और हम कही||

आतिशे इश्क़ वह जिसमे समुद्र जल जाए|
चर्चे लग जाए पत्थर मे तो पत्थर जल जाए||

सैकड़ो दर्द्मन्द मिलते है,
मतलब के लोग चन्द मिलते है|

जब मुसिबत का वक़्त आता है,
उनके दरवाजे बंद मिलते है||

बचकर रहना यारो बाला खेलती है|
हसीनो की आँखो मे कजा खेलती है||

सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगी फिर कहा|
जिंदगी गर रही तो नौजवानी फिर कहा||

महा देखा महताब देखा एक से एक लाजवाब देखा है|
बहक जाए खुदा भी खुदा कसम मैने ऐसा ख़्वाब देखा है||

नज़ारो -ए-जमाल से जन्नत है जिंदगी|
वह रु-ब-रु नही तो कयामत है जिंदगी||

तेरे कुंचे इस बहाने हमे दिन रात करना|
कभी इससे बात करना कभी उससे बात करना||

तेरी ज़िद कयामत से टकरा रही है|
तेरे भोलेपन पर हँसी आ रही है||

हो मौत के बाद जिंदगी मे इनक़लाब आया तो क्या हुआ|
नज़र झुकने के बाद नकाब उठाया तो क्या हुआ||

हक़ीकत ना बन सकी मोहब्बत की कहानी|
एक ख्वाब बनके रह गयी थोड़ी सी जवानी||

मेरा दिल तोड़ा है तुमने ग़मे दास्तान लिखकर|
अब नही मिल सकूँगा मैं तुमसे कभी हँसकर||

जॅहा मस्त बहारे आए तो शीतल जल की धारा|
खामोश झील के तट पर बस अधिकार हमारा||

अपना बना के देखो दामन न छोड देना|
दिल मे समाने वाले दिल को न तोड़ देना||

दिलबर की दिल्लगी मे हम दिल खो चुके है|
कल तक तो अपने ही थे अब किसी के हो चुके है||

रहता हूँ दिल मे तेरे, इतना है प्यार तुझसे|
मेरे भी दिल से तू है मुझको है प्यार तुझसे||

होता है प्यार कैसे मैं जानती नही हूँ|
होता है क्या बला ये पहचानती नही हूँ||

या रब तेरी दुनिया मे दिल दर्द से खाली है|
यह बाग है वह जिसमे सैयाद ही माली है||

कह क करना मुश्किल कह देना आसान है|
जो अपने कहे पर मिट जाए वह सच्चा इंसान है||

घबरा के हमसे ढुंढ़ो ना सबेरा|
होता है गहरा ज़ुल्फो का अंधेरा||

बड़ा खुश नसीब है जिसे तू नसीब है|
वह तो बादशाह है भले ही तू ग़रीब है||

आँसुओ से तो दामन भरा मेहंदी मे भर ना सके|
हम जुदाई के मजधार मे ऐसे डूबे उभर ना सके||

यह दुनिया बड़ी लुटेरी ना तेरी है ना मेरी|
मुँह मे इसके राम-राम दिल मे हेरा फेरी||

हम ग़रीबो से मिलो या न मिली शाद रहो|
तुम सलामत रहो जिंदा रहो आबाद रहो||

लगा जो इक़्श को मुफ़लिस जी जरदार होता है|
कटाए सर जो उल्फ़त मे वही सरदार होता है||

अब तो पछ्ताते हो पछताने से क्या होता है|
सीखता है वही अन्जान जो कुछ होता है||

एक जा रहते नही आशिक़ बदनाम कही|
दिन कही रात कही सुबह कही शाम कही||

चले आओ हम जिगर आज़माए|
तू तीर आजमा हम जिगर आज़माए||

पाव फैलक़े आराम से सोते होंगे|
पहरे पर सिर जान के रखके रोते है||

हवा से बाल उनके रुखसारो पे हिलते है|
दिले बीमार उठ बैठो की दोनो वक़्त मिलते है||

नयना बड़े ग़रीब है रहे पलक की ओट|
दाँव पड़े चुके नही, कर लाँखो मे चोट||

मुफ़लिस को खुदा इश्क़ फन्झे मे न डाले|
आराम कहा जहा दिल पड़ा गैर के पाले ||

बशर राजे दिली कहकर जलीले खवार होता है|
निकल जाती है जब खुसबु तो गुल बेकार होता है||

हम ही मे न थी कोई बात जो याद न तुमको आ सके|
तुमने हमे भुला दिया हम न तुम्हे भुला सके||

खुसबु फूल मे होती है चमन का नाम होता है|
निगाहे कत्ल करती है हुस्न बदनाम होता है||

देखा तो हुस्न यार तो तबीयत मचल गई|
आँखो का था कसूर छुरी दिल पर चल गई||

दुनिया बनी है इश्क़े मुहब्बत के वाश्ते|
पैदा हुए दुनिया मे मुहब्बत के वाश्ते||

कभी सिर्दी कभी गर्मी ये तो कुदरत के नज़ारे है|
प्यासे वो भी वा जाते है जो दरिया किनारे है||

दोस्ती की थी कम से कम दो दिन तो निभाई होती|
गली अपनी मे मेरी कब्र तो बनाई होती||

तुम लगे गैरो से मिलने दिल हमारा फट गया|
जो कदम था मुहब्बत का वो भी पीछे हट गया||

पत्ते गिरते है तो उठता है कोई|
प्यार तो सभी करते है निभाता है कोई||

भलाई दुआ की जो सुबह शाम करते है|
फलक पे उनको फरिश्ते सलाम करते है||

गुलाम बनके हुस्न को यूँ न सलाम करो|
किया है इश्क़ तो ना इश्क़ को बदनाम करो||

खुदा जाने के आब क्यूँ हमसे तकरार करती हो|
मिलकर आँख गैरो से, हमे बेजार करती हो||

तख्त पर घोड़ा खड़ा कसकर लगाम छोड़ दो|
दिल जला कर दिल पर खंजर चलना छोड़ दो||

रहता है तेरा नाम दिल की ज़ुबान पर|
एक चाँद है ज़मीन पर एक आसमान पर||

बिना खंजर निगाहो की छुरी दिल पर चलती हो|
कभी खाली नही जाता निशाना वहा चलाती हो||

बाग मे फूल खिलता है किसी का हार बनने को|
खुदा भी हुस्न देता है, किसी का प्यार बनने को||

मिट गया जब मिटाने वाला फिर सलाम आया तो क्या|
दिल की बर्बादी के बाद उनका पैगाम आया तो क्या||

बुलबुल निसार है गुल हाय बाग पर|
परवाना जान देता है जल कर चिराग पर||

आँखो से मिली आँख दिल से दिल टकराने दो|
परवाने को जालिम, पास तो अपने जाने दो||

हाय जानी तीर मारा दिल पर निशान कर गई|
तू तो अपने घर गई मुझे दीवाना कर गई||

हैरत है निकलते भी नही करीब से|
नफ़रत तो इतनी कर रहे हो बदनसीब से||

हाथो मे आँचल थाम के ये सर झुकाने की अदा|
दीवाना कर देगी मुझे ये मुस्कुराने की अदा||

अदा खामोश रहकर जब कोई पैगाम देती है|
नज़र ऐसे ही मौके पर जूबा का काम देती है||

राज जो इसमे छुपा है वो समझता है दिल|
कैसे खोले रे तेरा खत की धड़कता है दिल||

चाहने वालो को तड़पाना अजी अच्छा नही|
आशिको के दिल को ठुकराना अजी अच्छा नही||

मुहब्बत का राज बतलाया नही जाता|
निगाहे खुद समझ लेती है समझाया नही जाता||

जब से सौदा हो गया है दिले जाने जा तेरी|
ठोकरे खिलवा रहा है यार याराना तेरा||

ना बिखराओ यूँ ज़ुल्फो को मेरी दिल ना मचल जाए|
कही ऐसा न ही दिलबर की ये दिल संभल न पाए||

इशारा उसे काफ़ी जो अक्लमंद होता है|
वही है प्यार जो आँखो मे बुलंद होता है||

आँखो से तेरी पी के मदहोश हो गया|
ऐसे गिरा पीकर की वही बेहोश हो गया||

मुश्कुरा करके प्यार की आग मे तेल छिडकती है|
दिल मे करती प्यार बाहर से हमे झिड़कती है||

वो तो खुद समझेगा खुद जानेगा जिसका काम है|
वो बेचारा क्या करे जो मुफ़्त मे बदनाम है||

मोहब्बत के फसाने कोई समझे तो क्या समझे|
नज़र ने दिल को लूटा और आह दिल की खता समझे||





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